नितिन गडकरी अपने देश को सरप्राइजिंग तौफा देने के लिए और अपने दावे बोलकर और कर के दिखा देने वालों में से जाने जाते है और एक बार फिर उन्होंने देश को चौका दिया है .आइए जानते है…नितिन गडकरी मंगलवार को राजस्थान के प्रतापगढ़ दौरे पर थे। यहां उन्होंने 5600 करोड़ रुपए के 11 प्रोजेक्ट का शिलान्यास, लोकार्पण और उद्घाटन किया था। आपको बता दे की नितिन गडकरी ने कहा- अगस्त में टोयोटा कंपनी की गाड़ियों को लॉन्च कर रहा हूं। ये सभी गाड़ियां किसानों की ओर से तैयार किए एथेनॉल पर चलेंगी। 60% एथेनॉल, 40% बिजली और फिर उसका एवरेज पकड़ा जाएगा तो 15 रुपए लीटर पेट्रोल का भाव होगा। 16 लाख करोड़ रुपए का इम्पोर्ट है। अब ये पैसा किसानों के पास जाएगा। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया है कि आने वाले समय में देश में पेट्रोल 15 रुपए प्रति लीटर मिलेगा। ये सब कुछ होगा एथेनॉल की मदद से. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में किसान अन्नदाता नहीं ऊर्जादाता भी होगा, क्योंकि ये सारा प्रोसेस देश का किसान करेगा।
जानिए किसानों द्वारा बनाई गयी एथेनॉल से कैसे सस्ता होगा पेट्रोल.
E20 पेट्रोल यानी एथेनॉल मिला पेट्रोल एक तरह का अल्कोहल होता है, जिसे स्टार्च और शुगर के फर्मेंटेशन से बनाया जाता है। इसके लिए गन्ने के रस, मक्का, सड़े आलू, सड़ी सब्जियां, मीठा चुकंदर, ज्वार, बांस या पराली का उपयोग किया जाता है. पराली गेहूं और चावल की भूसी को कहा जाता है. चूंकि ये सारी वस्तुएं खेतों में होती हैं, इसीलिए गडकरी ने कहा कि किसान ही ये ऊर्जा देंगे. इससे बनने वाले ईंधन में 80% हिस्सा पेट्रोल और 20% हिस्सा एथेनॉल का होगा. जिसे E20 पेट्रोल कहा जाता है। अभी पेट्रोल में केवल 10% एथेनॉल मिलाया जाता है, लेकिन आगे इसकी मात्रा बढ़ाई जाएगी। इससे E20 पेट्रोल के दाम घटेंगे। इसका उपयोग गाड़ियों में किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए EBP यानी एथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम शुरू किया है, जिसके तहत 2025 तक देश में सभी जगह E20 पेट्रोल पंप उपलब्ध करवाने का टारगेट है.
E20 पेट्रोल क्या है?
1970 के दशक में पहली बार ब्राज़ील में व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला E20 ईंधन इथेनॉल और गैसोलीन (पेट्रोल/डीज़ल) का एक सामान्य मिश्रण है और इसमें 20% इथेनॉल और 80% गैसोलीन होता है। इसका उपयोग कारों, ट्रकों और बाइक जैसे वाहनों में आंतरिक दहन इंजन के लिए किया जाता है. वास्तव में, यह नया अपनाया गया मिश्रण पर्यावरण-अनुकूल और लागत प्रभावी ईंधन की ओर बढ़ने का एक अच्छा तरीका है, जिसके बारे में हम नीचे जानेंगे. इसके अलावा, इथेनॉल को गन्ने के अवशेषों और क्षतिग्रस्त पौधों के अनाज से निकाला जाता है, इस प्रकार आय का एक वैकल्पिक स्रोत बनाकर चीनी उद्योग को बढ़ावा मिलता है.
क्या E20 ईंधन पर्यावरण के लिए अच्छा है?
E20 ईंधन में 20 प्रतिशत इथेनॉल गन्ने और क्षतिग्रस्त पौधों के दानों से निकाला गया जैव ईंधन है। इस प्रकार, यह जीवाश्म ईंधन, पेट्रोल और डीजल की तुलना में कहीं अधिक नवीकरणीय है. इसमें कोई संदेह नहीं कि यह अधिक टिकाऊ ईंधन है. साथ ही, यह क्लीनर से जलता है. और, दैनिक आधार पर लाखों लीटर ईंधन जलने के साथ, स्वच्छ जलने वाले 20 प्रतिशत मिश्रण की हमेशा सराहना की जाती है. इलेक्ट्रिक वाहनों के भी आने से, भारत सकारात्मक रूप से एक स्वच्छ, अधिक टिकाऊ मॉडल की ओर बढ़ रहा है. 2030 तक अधिकांश ऊर्जा खपत को नवीकरणीय स्रोतों में स्थानांतरित करने का मिशन ई20 ईंधन मिश्रण और ईवी को बढ़ावा देने जैसे कदमों के साथ वास्तविकता में आ रहा है.
E20 पेट्रोल के सबसे बड़े फायेदे जानिए
ईंधन मिश्रण के हिस्से के रूप में इथेनॉल का उपयोग करके, E20 नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ाता है. यह पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधन पर पूर्ण निर्भरता को कम करता है. बेहतर इंजन प्रदर्शन: इथेनॉल एक ऑक्टेन बूस्टर के रूप में कार्य करता है, जिससे इंजन के प्रदर्शन में सुधार हो सकता है और इंजन की दस्तक कम हो सकती है.
ई-20 पेट्रोल का मकसद वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को कम करना है.
भारत में लाखों की संख्या में वाहन सड़कों पर चलते हैं। सभी को पेट्रोल और डीजल से चलाया जाता है, जिससे बड़ी संख्या में प्रदूषण होता है और इसके साथ ही सरकार को पेट्रोल को भारी मात्रा में आयात करना पड़ता है, जिससे करोड़ों डॉलर की मुद्रा विदेशों में जाती है.
जानिए भविष्य में किन-किन गाड़ियों में हो सकता है उपयोग
नए मॉडल की बन रही सभी गाड़ियों में एथेनॉल से बने पेट्रोल का उपयोग हो सकेगा. इसका कारण है कि यहां बन रही ज्यादातर गाड़ियों में इंजन BS-4 से BS-6 स्टेज के हैं। एथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम के तहत केंद्र सरकार ने पहले ही इंजन बनाने वाली कंपनियों को E20 पेट्रोल के लिए इंजन बनाने के निर्देश दे रखे हैं. वैसे पुरानी गाड़ियों में भी इसका उपयोग किया जा सकता है, लेकिन इससे गाड़ी में कम माइलेज और कम पावर की आशंका रहेगी. हालांकि पुरानी गाड़ी के इंजन में कुछ बदलाव करवा सकते हैं. लेकिन यदि गाड़ी बहुत पुरानी है तो उसे नई स्क्रैप पॉलिसी के तहत स्क्रैप करा सकते हैं.
जानिए क्या है एथेनॉल और कैसे बनता है एथेनॉल
एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जो स्टार्च और शुगर के फर्मेंटेशन से बनाया जाता है। इसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में ईको-फ्रेंडली फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है। एथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने के रस से होता है, लेकिन स्टार्च कॉन्टेनिंग मटेरियल्स जैसे मक्का, सड़े आलू, कसावा और सड़ी सब्जियों से भी एथेनॉल तैयार किया जा सकता है. एथेनॉल बनाने के लिए सबसे पहले गन्ने की मशीन में पेराई की जाती है. इसके बाद गन्ने के रस को एक टैंक में कुछ घंटों के लिए एकत्रित कर उसे फर्मेंटेशन के लिए छोड़ दिया जाता है. फिर टैंग में बिजली से हिट देकर एथेनॉल बनाया जाता है. खास बात यह है कि आप एक टन गन्ने से 90 लीटर तक एथेनॉल बना सकते हैं. जबकि एक टन गन्ने से 110 से 120 किलो तक ही शक्कर का उत्पादन किया जा सकता है.
1G एथेनॉल : फर्स्ट जनरेशन एथेनॉल गन्ने के रस, मीठे चुकंदर, सड़े आलू, मीठा ज्वार और मक्का से बनाया जाता है.
2G एथेनॉल : सेकेंड जनरेशन एथेनॉल सेल्युलोज और लिग्नोसेल्यूलोसिक मटेरियल जैसे – चावल की भूसी, गेहूं की भूसी, कॉर्नकॉब (भुट्टा), बांस और वुडी बायोमास से बनाया जाता है.
3G बायोफ्यूल : थर्ड जनरेशन बायोफ्यूल को एलगी से बनाया जाएगा। अभी इस पर काम चल रहा है।
पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने का काम तेल कंपनियां करती हैं। फिलहाल देश में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के पानीपत, कोयम्बटूर, मदुरै, सलेम और तिरुचि स्थित टर्मिनल पर एथेनॉल मिलाने का काम किया जा रहा है. इसी प्रकार हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड अपने चेन्नई टर्मिनल में और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड चेन्नई के साथ करूर स्थित अपने टर्मिनल में यह काम करता है.
आपको बता दें कि नितिन गडकरी भारत में इलेक्ट्रिक कारों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर काफी जोर दे रहे हैं. साथ ही उन्होंने हाइड्रोजन से चलने वाली कारों के प्रचार-प्रसार पर भी काफी कुछ कहा है. केंद्रीय मंत्री खुद जिस टोयोटा मिराई कार से चलते हैं, वह हाइड्रोजन से चलती है. नितिन गडकरी ने फ्लेक्स फ्यूल कंपैटिबल इंजन बनाने के लिए ऑटोमोबिल कंपनी को निर्देश दिया है और सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में भारतीय सड़कों पर पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण वाले फ्यूल से चलने वालीं गाड़ियां दिखेंगी.
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